मैं तो तुम्हारी राधा बनूँगी…!!!
मैं नही तुम्हारे साथ…
किसी सफ़र पर चलूँगी…
मैं नही तुम्हारे साथ…
जिन्दगी भर रहूंगी…
मैं तुम्हारा एहसास बनूँगी…
मैं तो तुम्हारी राधा बनूँगी….
मैं नही तुम्हारे साथ..
चाँद को देखूंगी..
मैं नही तुम्हारे साथ..
किसी सुबह में रहूंगी…
मैं बनके मुस्कान….
तुम्हारे होटों पर रहूंगी…
मैं तो तुम्हारी राधा बनूँगी….
मैं नही तुम्हारे साथ…
बारिशो में भीगुंगी..
मैं तो तुम्हे छूती..
बूंदों में रहूंगी…
मैं तो तुम्हारी राधा बनूँगी….
मैं नही तुम्हारी किसी खुशी में..
शामिल रहूंगी..
ना ही तुम्हारे किसी पुरे होते..
सपने का हिस्सा ही बनूँगी..
मैं तो तुम्हारी बंद आखों के…
सपनो में रहूंगी..
मैं तो तुम्हारी राधा बनूँगी….
मैं नही तुम्हारे पन्नो पर,
बिखरे शब्दों में रहूंगी….
मैं तो तुम्हारे…
अनकहे ख्यालों में रहूंगी..
मैं नही तुम्हारे..
जवाबों में रहूंगी…
मैं तो तुम्हारी आपस में,
उलझती उँगलियों के..
सवालो में रहूंगी…
मैं तो तुम्हारी राधा बनूँगी…!!!
— सुषमा कुमारी
बहुत सुंदर !