ग़ज़ल : अपना बनाना चाहता हूँ
तुमको मैं दिल में छुपाना चाहता हूँ।
मैं तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ।।
आँखों को है भा गई सूरत तुम्हारी।
उससे अब ना दूर होना चाहता हूँ।।
झील सी गहरी जो आँखे है तुम्हारी।
उसमें अब मैं डूब जाना चाहता हूँ।।
एक-दो दिन का अपना साथ ना हो।
मैं तुम्हारा साथ पल-पल चाहता हूँ।।
तुम मेरी हो आत्मा परमात्मा भी।
मैं फ़कत तेरा सहारा चाहता हूँ।।
— अरुण कुमार निषाद
बढ़िया गजल !
साभार धन्यवाद
अच्छी ग़ज़ल !
बहुत-२धन्यवाद