राजनीति

लोकतंत्र के लिए सबसे शर्मनाक सत्र

संसद का वर्तमान मानसून सत्र संभवतः 68 वर्षो में सबसे शर्मनाक सत्र के रूप में याद किया जायेगा। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश के जनमानस मे आशा व उम्मीदों का एक नया दीप जला था लेकिन कांग्रेस पार्टी के केवल दो बड़े नेताओं श्रीमती सोनिया गांधी व राहुल गांधी की हठधर्मिता के कारण देश की जनता का करोड़ों रूपया व समय बर्बाद हो गया है। लोकसभा चुनावों व विधानसभा चुनावों में एक के बाद एक मिली करारी पराजय से आहत कांग्रेस को कुछ भी सूझ नहीं रहा था। साथ ही संसद व कई विधानसभाओं में उसका विपक्ष का पद भी चला गया था। भविष्य में भी अभी कांग्रेस के सिर उठाने के आसार नही नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि आज कांग्रेस ने नकारात्मक और आत्मघाती तथा देश के विकास में बाधक मार्ग को अपना लिया है। आज कांग्रेस व संपूर्ण विपक्ष की अब आलोचना होने लग गयी है। कांग्रेस व विपक्ष का कहना है कि जब तक विपक्ष के प्रश्नों का उत्तर नहीं मिल जाता तब तक हम संसद नहीं चलने देगे।

विपक्ष की एक ही मांग है कि सबसे पहले सुषमा स्वराज सहित दो मुख्यमंत्री इस्तीफा दें और जब बहुत दबाव पड़ा तो राहुल गांधी यह कहने लगे कि सुषमा जी केवल यह बता दें कि उनके एकाउंट में कितना पैसा गया है संसद चलने लग जायेगी। यहां पर राहुल गांधी ने एक बहुत बड़ी राजनैतिक भूल कर दी है। उन्हें संभवत: उनके सलाहकारों ने उनके परिवार का वह इतिहास याद नहीं दिलाया है जिसमें जब बोफोर्स मामले पर उनके पिता पर सवाल उठ रहे थे तब गांधी परिवर ने यह नहीं बताया था कि गांधी परिवार के खाते में कितना पैसा गया है। साथ ही आज पूरा देश जानता है कि बोफोर्स मामले को दबाने के लिए कांग्रेसी सत्ता ने किस प्रकार से साजिशें रची थीं। साथ ही कांग्रेस परिवार ने आज तक जितने भी घोटाले किए हैं उनके बारे में भी कोई भी जानकारी नहीं मिल रही है।

यह मानसून सत्र कई मायने में शर्मसार करने वाला माना जायेगा। इस सत्र में पहले तो कांग्रेस सांसद प्लेकार्ड और कालीपटटी बांधकर हंगामा करते रहे फिर लोकसभा उपाध्यक्ष जब आसन पर बैठे तो उन पर कागज फाड़कर फेंके गये । तब लोकसभा अध्यक्ष को नाराज होना स्वाभाविक था और उन्होनें बयान दिया कि 40 सांसद देशभर से अन्य सांसदों का हक छीन रहे हैं। यह लोकतंत्र की हत्या है। साथ ही लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लोकसभा टीवी से अपील की की इन सांसदों का आचरण पूरे जोर शोर से जनता को दिखाया जाये । वाकई  आज कांग्रेस जिस प्रकार का आचरण मोदी सरकार के साथ कर ही है वह बदले की भावना व पराजय की हीन भावना से ग्रसित होकर कर रही है। राहुल गांधी को लगता है कि ऐसा करके वह बहुत जल्दी प्रधानमंत्री बन जायेंगे। साथ ही वह यह भी सोच रहे हैं कि जिस प्रकार वे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना गुस्सा दिखाकर अध्यादेश की प्रतियां फाड़कर उनको दबाव में ले आते थे वैसा ही कुछ पीएम मोदी के साथ भी कर लेंगे तो यह उनकी बहुत बड़ी मूर्खता की पराकाष्ठा है। अभी तक देश का कोई ऐसा राजनीतिज्ञ पैदा नहीं हुआ है जो पीएम मोदी को अपने दबाव में ले लेगा। यह बात राहल गांधी व उनके सिपहसलारों को अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए ।

इस मानसून सत्र में एक बेहद शर्मनाक बात और हुई है कि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने जब कांग्रेसी सांसदों का निलम्बन करने का फैसला किया तो राहुल बाबा की गुडबुक में आने के लिए युवा कांग्रेस के लोगो ने फैसले का विरोध करने के लिए अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया क्या यह लोकतंत्र है। यह तो एक प्रकार से महिला लोकसभा अध्यक्ष का भी अपमान कांग्रेस द्वारा किया जा रहा था। आज कांग्रेस पूरी तरह से विनाशक हो गयी है। वह विकासविरोधी बन गयी है। कांग्रेस नहीं चाहती कि आर्थिक सुधारों वाले विधेयकों को पारित कराने का श्रेय मोदी जी न ले जाये। इसलिए कांग्रेस फर्जी मामलों पर संसद का समय व पैसा बर्बाद करके देश को विकास की जगह विनाश के कगार पर ले जाने वाली राजनीति कर रही है। अब कांग्रेस विपक्ष में रहकर भी देश के लिए बोझ बनती जा रही है। एक सर्वे में 100 प्रतिशत उद्योगपतियों ने कांग्रेस के रवैये पर निराशा जाहिर की है। सभी विधेयक लम्बित हो गये हैं। हालांकि पीएम मोदी विकास के प्रति सजग हैं तथा वह किसी भी कीमत पर देश व जनता का नुकसान नहीं होने देंगे।

कांग्रेस ने तय कर लिया है कि वह मोदी सरकार के हर निर्णय का विरोध करेगीे। चाहे वह नागा समस्या हल करने के लिए समझौता हो या फिर समझौता धमाकों के आरोपी असीमानंद की जमानत की रिहाई। आज कांग्रेस बेहद घिनौनी राजनीति पर उतर आयी है।जनता में निराशावाद को फैला रही है।गांधी परिवार को यह अच्छी तरह से याद रखना होगा कि भारत और भारत का संविधान उनका गुलाम नहीं है यह बात अलग है कि कांग्रेस पार्टी के लोग गांधी परिवार के गुलाम हो सकते हैं। अब समय आ गया है कि देश की जनता पूरी तरह से संसद व विधानसभाओं से कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया करें। कांग्रेस मोदी सरकार का विरोध अपनी मुस्लिम परस्त राजनीति के कारण भी कर रही है।यह पूरी तरह से हिंदूवादी सरकार का विरोध और छुआछुत की राजनति का दौर है जो कांग्रेस द्वारा चलाया जा रहा है।

— मृत्युंजय दीक्षित