कविता
अनगिनत बाधाएँ तुम्हें ,
विचलित करेंगी सर्वदा ।
धैर्य को खोना नहीं,
उन्नत रखो मस्तक सदा। (1)
ले तिरंगा शान से ,
सद्भाव रख बढ़ना सदा ।
विजय पथ पर बढ़ चलो ,
कर दूर सारी आपदा ।(2)
वीर हो तुम, धीर बन,
पंकज सदृश खिलते रहो ।
माँ भारती की शान में ,
तुम काव्य नितरचते रहो । (3)
जागेगी सोई चेतना ,
विश्वास रख बढ़ते रहो ।
अखंड भारत ध्येय रख ,
सद मार्ग पर चलते रहो ।(4)
लता यादव (11/08/15)