गजल
सोचना क्या है किसकी रज़ा चाहिए
आगे बढ़ने को बस हौसला चाहिए
साफ़ कपड़ों का होना तो लाज़िम ही है
साफ़ दिल हो अगर और क्या चाहिए
जान पहचान सौदागरी मांगती
और रिश्तों में भी अब नफ़ा चाहिए
हमको बस चाहिए दाल रोटी मगर
उनको मौसम भी तो खुशनुमा चाहिए
हर तरफ़ झूठ का बोलबाला यहाँ
गुमशुदा सच हुआ, ढूंढना चाहिए
आगे चट्टान हो तब भी परवा नहीं
मंजिलों तक हमें रास्ता चाहिए
——- पूनम