हाइकु/सेदोका

हाइकु

हाइकु

1
उजला मन
आशाओं का दर्पण
ये देखे स्वप्न।

2
सबने पीया
खामोशी का सागर
तूफाँ सब में।

3
यादों के पँछी
खुले पिंजरे से भी
उड़ते नहीं।

4
क्यों दिया प्रभु
ये चन्दन-सा मन
डसें भुजंग।

5
हाथ पकड़
बादल को ले उडी
बहती हवा।

6
बुरा समय
छोटी हुई कतारें
हितैषियों की।

7
बजाती हुई
लहरों की पायल
बहती नदी।

8
रंग-बिरंगा
ओढ़ती लहरिया
सुहानी साँझ।

9
मीठी मुस्कान
देखूं तेरे होठों पे
भुलूँ दुःख को।

10
तपस्वी संत
देवदार के वृक्ष
साधनारत।

अनिता

One thought on “हाइकु

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    लाजवाब

    हाइकु

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