कविता

स्वतन्त्रता दिवस के बाद..

स्वतंत्रता दिवस के बाद
होता है ये हाल
राष्ट्र ध्वज के प्रतिक चिन्ह
सङको पर मिलते बेहाल
छोटे छोटे ध्वज जो
उस दिन शोभा बढाते हमारी
दुसरे ही दिन उनकी कचरे मे
देखनी पङती लाचारी
करे कोई उसका अपमान
तो गुस्सा टूट पङता है
फिर क्यूं वो अगले दिन
राष्ट्रप्रेम सङक पर मिलता है
अगर सचमुच ह्रदय में अभिमान
तो यूं न मिटाओ इसकी पहचान
ये तिंरगा ही तो है देश की
आन,बान,और शान
अपने जोश को ठंडा करके
कभी यूं न गवाओ
बङे अदब से इज्जत देकर
इसकी शोभा बढाओ

*एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने [email protected]