कुछ हाइकु
1 :~
सच बोलना
आईने से सीखिये
टूट कर भी
2:~घूरते नैंन
सृष्टी देवी व्यथित
छुपाये तन
3:~आत्मा जुगनूं
घट ज्योति कलस
रौशन जग
4:~ अभ्यर्थना है
स्वीकृत हो प्रणय
सार्थक प्रण
5:~ टकरा कर
लौटती दबे पाँव
शांत लहर
6:~सिन्दूरी नभ
चूमता सागर को
क्षितिज साक्षी
7:~क्षितिज गोद
स्वर्णिम आभा फैली
खेलता सूर्य
8:~शून्य का जोड़
लील गया जीवन
अतृप्त मन
— धर्मेन्द्र पाण्डेय