स्वास्थ्य

आँखें आना

कई बार कंजेक्टीवाइटिस या अन्य किसी कारण से आँखें लाल हो जाती हैं और उनमें खुजली, जलन, दर्द आदि कष्ट होते हैं।

इसका सरल इलाज है ठंडे पानी से बार बार आँखों को धोना। इसके लिए सर्जीकल और बड़े मेडिकल स्टोरों पर आँखें धोने का एक छोटा सा कप मिलता है। उस कप में खूब ठंडा पानी ऊपर तक भर लीजिए और उस पर एक आँख टिकाकर कप सहित सिर को पीछे कर लीजिए। अब आँख को एक मिनट तक मिचमिचाइए। इससे आँख की पुतली की धुलाई हो जाएगी। इसी प्रकार नया पानी लेकर दूसरी आँख को धो लीजिए।

अगर आँखें धोने का कप न मिले तो एक हाथ की अंजुली में ठंडा पानी भरकर और उसमें आँख को डुबोकर भी धुलाई की जा सकती है।

इस प्रकार दिन में ४-५ बार धोने की आवश्यकता हो सकती है। ऐसा करने से आँखों में कोई कष्ट नहीं होता। उनका कीचड़ सरलता से निकलकर किनारे पर आ जाता है। उसे साफ़ रूमाल से पोंछते रहिए।

इस इलाज से आँखें बिना किसी कष्ट के तीन चार दिन में सामान्य हो जाती हैं और आप अपना दैनिक कार्य भी करते रह सकते हैं।

भूलकर भी आँखों को गर्म या नमकीन पानी से नहीं धोना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने पर रोग लम्बा खिंच जाता है और कष्ट बढ जाता है।

विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]

5 thoughts on “आँखें आना

  • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

    ऐसी उपयोगी जानकारी के लिये हार्दिक आभार

  • Man Mohan Kumar Arya

    बहुत उपयोगी जानकारी है। हार्दिक धन्यवाद श्री विजय जी।

    • विजय कुमार सिंघल

      प्रणाम, मान्यवर ! आभार !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    विजय भाई , जानकारी के लिए धन्यवाद ,मैंने भी दो कप रखे हुए हैं और कभी कभी आँखों की सफाई कर लेता हूँ .

    • विजय कुमार सिंघल

      बहुत अच्छा भाईसाहब !

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