खंडहर
सुनसान
खंडहर सी हवेली
इक्का दुक्का
कभी कभी
पंखो की फरफराहट
दीवारो की
तहों में लिसडी
अनेको कहानियां
बादशाहत के किस्से
बदगुमानी का रुदन
उखड़ते गारे के संग
कायम हैं अभी भी
टूटा फूटा वजूद लिए
कोई मानता क्यों नही
एक उम्र के बाद
नारी मन भी खंडहर
हो जाता हैं
अनचाहे ही
अनजाने में
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नीलिमा शर्मा निविया