खुशी! तु ही बता ….
खुशी! तु ही बता
तुझे पाकर क्यों इतराऊं।
जानता हूं, तु बेवफा है
फिर तेरे आगे झोली क्यूं फैलाऊं॥
जमाना जानता है
तेरी बेवफाई का, कोई ठिकाना नही है
मेरे दर्द को देख
जिसके पास
मुझे छोडने का,कोई बहाना नही है
तु बदलती है हर रोज ठिकाना, फिर तुझे अपना कैसे बताऊं….
जानता हूं तु बेवफा है
फिर तेरे आगे झोली क्यूं फैलाऊं…..
दिन रात खूब तलाशा तुझे
पर तु हमेशा लुका छुपी खेलती रही।
झलक दिखा दिखा
मुझे कोल्हु का बैल बना ठेलती रही॥
जानता हूं तु दगाबाज है
फिर बार बार धोखा क्यूं खाऊं…
जानता हूं ,तु बेवफा है
फिर तेरे आगे झोली क्यूं फैलाऊं….
करते हैं जो तेरी मिन्नते
वो कोई और होंगे
हिम्मत नही होगी उनमें
कमजोर होंगे।
जानता हूं,
तु हसरत है हर किसी की
अपनी खुदी पर इतना गुमां ना कर
हमारे भी कभी दौर होंगे॥
बहकते होंगे लोग तेरे नशे मे मगर, मे अपने कदम क्यूं डगमगाऊं….
जानता हूं, तु बेवफा है
फिर तेरे आगे झोली क्यूं फैलाऊं……
सतीश बंसल