बंजारा
जग से क्यूँ है मोह बढ़ाता
कौन हुआ किसका बंजारा.
मिले काफ़िले उन्हें भुला दे
कौन साथ चलता बंजारा.
कौन रुका है यहाँ सदा को
कौन ठांव होता अपना है.
सभी मुसाफ़िर हैं सराय में
एक एक सबको चलना है.
पल भर हाथ थाम ले काफ़ी
सदा साथ सपना बंजारा.
अच्छा बुरा कौन है जग में
जो भी मिलता साथ उठाले.
कौन है अपना कौन पराया
जो भी मिलता गले लगाले.
छोड़ यहीं जब सब जाना है
क्यूँ है फ़िर चुनता बंजारा.
आज नहीं, न कल था तेरा
आने वाला कल क्या होगा.
मेंहदी रचा हाथ में कोई
इंतज़ार कब करता होगा.
थके क़दम पर नहीं है रुकना
नियति तेरी चलना बंजारा.
…कैलाश शर्मा
वाह लाजवाब सृजन