लघुकथा

सेक्युलरवाद (लघुकथा)

वकालत की पढ़ाई पूरी करके हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते हुए विशाल को दो वर्ष हो चुके थे । एक दिन समाचार (न्यूज) देखते हुए वह व्याकुलता से बोल पड़ा – “समझ नहीं आता, ये नेता क्यों हिन्दुस्तान को हिन्दुओं का देश बताने पर क्यों तुले हुए हैं ? जबकि संविधान में भारत को धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र बताया गया है ।” एक बार पिताजी की ओर देखकर विशाल फिर बोला – “देश में जितने हिन्दू हैं, उनकी देखभाल तो सरकार ठीक से करती नहीं है, बिना वजह एक ही समुदाय की बात करते हैं ये लोग ।”

विशाल के पीछे कुर्सी पर बैठे सात्विक से रहा न गया । वह बोला – “एक ही समुदाय की बात तो आप जैसे सेक्युलरवादी भी करते हैं । क्या हिन्दू-विरोधी होना ही सेक्युलरवाद है ? क्या उचित है ऐसा सेक्युलरवाद ?”

अपने जमाने की आठवीं पास पिताजी चुपचाप ही बैठे रहे ।

. . . . . . . . राम दीक्षित ‘आभास’

राम दीक्षित 'आभास'

राम मिलन दीक्षित 'आभास' , माता- प्रेम लता दीक्षित , पिता- राम प्रकाश दीक्षित , जन्म - 18 अगस्त 1987 , स्थायी निवास - ग्राम-पोस्ट अम्बरपुर, सिधौली, जिला सीतापुर (उ.प्र.) , शिक्षा - स्नातक , पुरस्कार - सी.ए. परीक्षा के लिए गोल्ड मैडल एवं प्रमाण पत्र , प्रकाशित कृति - "अन्तस के बोल" (काव्य संग्रह) , विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशन , लेखन विधाएं - छंद , कविता, कहानी , उपन्यास , ग़ज़ल , व्यंग्य , निबन्ध, आलेख , वर्तमान पता- सत्य सदन, 1/118, सेक्टर 1, जानकीपुरम विस्तार , लखनऊ - 226031 Mob. 09919120222 email- [email protected]