आओ मिलकर आज हम सभी, सैनिक बन जाएं। इक्कीस दिन की बात है प्यारे, घर में रह जाएं।। बात नहीं है इसमें भाई, कुछ घबराने की, हम सबकी जिम्मेदारी है, देश जिताने की, डॉक्टर, पुलिस जवानों की, सब बातें अपनाएं। इक्कीस दिन की बात है प्यारे, घर में रह जाएं।। साफ-सफाई रोज रखो, “कोरोना” हारेगा, […]
Author: राम दीक्षित 'आभास'
हास्य व्यंग्य – गुड़िया कब नाचेगी ?
देखो, देखो , मदारी खेल दिखाने दोबारा आ गया। ये वाला मदारी क्या खेल दिखाता है! वाह… बीते पंचक से पहले वाले दशक में भी एक मदारी आया था। वह भी क्या मदारी था! पूरा मौनी बाबा.. इस तरह आपस में बातें करते करते लम्पट और पोपट मदारी के खेल तक पहुंच गए। मदारी राजनीतिक […]
घनाक्षरी (छंद)
हिन्दुओं की आस्था भी मखौल बनी भारत में । देख राजनीति का ये रंग रोष छा रहा ।। ईश्वर की मूरत को पत्थर बताए कोई । कोई पुष्ट भोजन गोमाँस को बता रहा ।। . धर्म और जाति में तलाशते हैं वोट सभी । बाँटते हैं देश नहीं अफसोस आ रहा ।। ‘सेक्युलरवाद’ का नया […]
दोहा (छंद)
१. तुलसी का बिरवा नहीं, दिखता आँगन माँहि । संस्क्ति, आस्था त्याग सब, नए दौर में जाहिं ।। २. नागफनी को रोप कर, मन में अति हरषाय । मन भी मरुथल हो गए, प्रेम बिन्दु न देखाय ।। – राम दीक्षित ‘आभास’
ग़ज़ल – तू लौट आ
न हो ख़फा, तू लौट आ, दूरियाँ मिटाने को । तू दे ज़हर, मेरे रक़ीब, मुझे बचाने को ॥ ग़ज़ब क़शिश है ज़ालिम, तुम्हारी चाहत में । मचल रहा है दिल गहरे ज़ख्म खाने को ॥ न रोक मुझको आज, टूटने दे बाँहों में । तड़प है दिल में वस्ल-ए-शब जगाने को ॥ आ दबोच […]
“स्वामी विवेकानन्द” (घनाक्षरी छन्द)
भारत के धर्म – ज्ञान का प्रकाश ले चले हैं । धर्म वाली संसद पहुँचने की चाह है ।। कल तक सर्वजन भाषण से बचते थे । सर्व-धर्म जनों को दिखाते नयी राह हैं ।। . अमरत्व का यथार्थ – सत्य उन्हें ज्ञात हुआ । सुख-दु:ख व्यर्थ सब क्रोध व उछाह है ।। ज्ञान व […]
भारत नमो
जय जय तेरी ‘भारत’ नमो । भारत मेरे विजयी रहो ।। हम जो कहें तुम सब कहो । भारत मेरे विजयी रहो ।। हम क्या जियें गर तू न हो । भारत मेरे विजयी रहो ।। इसका कोई गम अब न सहो । भारत मेरे विजयी रहो ।। धारा बनो सागर तक बहो । भारत मेरे विजयी […]
समीक्षा – “अन्तस के बोल”
. श्री राम दीक्षित “आभास ” कृत “अन्तस के बोल” काव्य संग्रह पढ़ा ! युवा रचनाकार का यह प्रथम लेकिन गंभीर प्रयास है कहना अतिशियोक्ति नही होगा! जहां आज युवा मंच की ओर पलायन करना चाहता है …रातो रात नामचीन बन जाना चाहता है, इस आपा धापी में वह वस्तुतः कविता से दूर हो केवल सस्ती […]
अमर शहीद “कैप्टन मनोज पाण्डेय” (घनाक्षरी छन्द)
अमर शहीद “कैप्टन मनोज पाण्डेय“ को नमन करते हुए . . श्रद्धान्जलि स्वरुप एक घनाक्षरी काव्य–पुष्प उनको अर्पित करता हूँ . . . . . . . . ‘भारत–माता‘ की सेवा करने सेना में आया, प्राणों से भी प्यारा जिसे अपना वतन था । उत्तर–प्रदेश, जनपद–सीतापुर, ग्राम– ‘रूढ़ा‘ का सपूत एक खिलता सुमन था ।। […]
“माँ वाग्देवी” की वन्दना ( घनाक्षरी छन्द )
“माँ वाग्देवी” की वन्दना ( घनाक्षरी छन्द ) शारदे! वाणी को ओज मिले और , शक्ति मिले मन को मनभावन । शान्ति बसे स्रष्टि मेँ तुष्टि से , पूरित हो सब जीवोँ का जीवन ।। तेरे गुणोँ का गान करूँ , बरसे शुचि देश मेँ नेह का सावन । सब संवेदन से संयुक्त होँ , […]