कुण्डली/छंद

दोहा (छंद)

१. तुलसी का बिरवा नहीं, दिखता आँगन माँहि ।
    संस्क्‌ति, आस्था त्याग सब, नए दौर में जाहिं ।।

२. नागफनी को रोप कर, मन में अति हरषाय ।
मन भी मरुथल हो गए, प्रेम बिन्दु न देखाय ।।

– राम दीक्षित ‘आभास’

राम दीक्षित 'आभास'

राम मिलन दीक्षित 'आभास' , माता- प्रेम लता दीक्षित , पिता- राम प्रकाश दीक्षित , जन्म - 18 अगस्त 1987 , स्थायी निवास - ग्राम-पोस्ट अम्बरपुर, सिधौली, जिला सीतापुर (उ.प्र.) , शिक्षा - स्नातक , पुरस्कार - सी.ए. परीक्षा के लिए गोल्ड मैडल एवं प्रमाण पत्र , प्रकाशित कृति - "अन्तस के बोल" (काव्य संग्रह) , विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशन , लेखन विधाएं - छंद , कविता, कहानी , उपन्यास , ग़ज़ल , व्यंग्य , निबन्ध, आलेख , वर्तमान पता- सत्य सदन, 1/118, सेक्टर 1, जानकीपुरम विस्तार , लखनऊ - 226031 Mob. 09919120222 email- rammdixit1@gmail.com