कविता

रामराज

 

गाँधी जी कहते थे
जब भारत स्वतंत्र होगा
तो रामराज आ जायेगा
अछूतोद्धार होगा
जातपात; छुआछूत; अस्पृश्यता का अंत होगा
सर्वधर्म एक नियम होगा
गोऊपूजा होगी
हर कोई एक-दूजे के हृदय में समा जायेगा
गाँधी जी कहते थे —
ऐसा रामराज आ जायेगा।
लेकिन–
स्वतंत्र भारत में
मार-काट होती है
गोऊ मांस बिकता है
जात-पात के नाम पर आरक्षण होता है
हिन्दू मस्जिद, मुस्लिम मंदिर ढाता है

कौन जानता था
स्वतंत्रता प्राप्ति उपरान्त ऐसा हो जायेगा
जब भारत स्वतंत्र होगा
तो ऐसा रामराज आ जायेगा?

महावीर उत्तरांचली

लघुकथाकार जन्म : २४ जुलाई १९७१, नई दिल्ली प्रकाशित कृतियाँ : (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की ४ — ४ कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन से। (3.) आग यह बदलाव की (ग़ज़ल संग्रह, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। (4.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। बी-४/७९, पर्यटन विहार, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली - ११००९६ चलभाष : ९८१८१५०५१६

One thought on “रामराज

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    इंसानों को न समझाया जा सकता है
    सार्थक लेखन

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