अगले जनम मोहे बिटिया हीं कीजौ
न तपन वो ठंडी पड़ी अरमानों के लाश पर भी,
न लगन वो हर हार के मुलाकात पर भी|
बेटों की क्षमता नहीं हर दर्द पर मुस्कान की,
संसार की गतिमयता में कृति के योगदान की |
सहनशीलता के कंटील चरम पायदान पर,
सुता हीं हरसू विराजित,त्याग के स्थान पर|
हे सृजक! प्रबुद्ध सृजन के नींव हेतु,
अगले जनम मोहे बिटिया हीं कीजौ |
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति