कवितासामाजिक

अगले जनम मोहे बिटिया हीं कीजौ

न तपन वो ठंडी पड़ी अरमानों के लाश पर भी,
न लगन वो हर हार के मुलाकात पर भी|

बेटों  की क्षमता नहीं हर दर्द पर मुस्कान की,
संसार की गतिमयता में कृति के योगदान की |

सहनशीलता के कंटील चरम पायदान पर,
सुता हीं हरसू विराजित,त्याग के स्थान पर|

हे सृजक! प्रबुद्ध सृजन के नींव हेतु,
अगले जनम मोहे बिटिया हीं कीजौ |

स्वाति कुमारी

नाम - स्वाति पति- श्री राज कुमार जन्मतिथि- २२ अप्रैल जन्मस्थान -सिवान (बिहार) शिक्षा -ऍम.बी.ए व्यवसाय- हाउस वाइफ प्रकाशन सृजक (त्रैमासिक पत्रिका- प्रबन्ध संपादन), टूटते सितारों की उड़ान (साँझा कविता संग्रह) विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशन ब्लॉग http://swativallabharaj.blogspot.in/ ​http://swati-vallabha-raj.blogspot.in/ छोटे शहर से हूँ और बहुत सी बातों को करीब से देखा और महसूस किया है । लिखना बचपन से हीं सुकून देता रहा है। फिर जीवन के भाग दौड़ में इसकी रफ़्तार एकदम मंद हो गयी । अभी कुछ समय से फिर कोशिश जारी है । लेखनी में इतनी ताकत भरना चाहती हूँ कि समाज की गलत धारणाओं और कुरूतियों के खिलाफ ना सिर्फ लिख पाऊं बल्कि लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास करूँ ।

One thought on “अगले जनम मोहे बिटिया हीं कीजौ

  • वैभव दुबे "विशेष"

    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति

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