गजल दे जायेंगे
लफ्जों के संग का महल दे जायेंगे
होठों को छूकर गजल दे जायेंगे
जिसकी खुशबू महकेगी दूर तक
खूबसूरत इक कँवल दे जायेंगे
महफ़िलों में ढूंढेगी हर इक नज़र
दिल में कुछ ऐसा असर दे जायेंगे
जागीर किसकी हो सकी है ये कलम
सच को हम बेख़ौफ़ लिखते जायेंगे
सरहद जा के लड़ने का न है हुनर
ख्याल हैं हथियार,लड़ते जायेंगे
अशआर का अर्थ जाना,वर्षों लगे
पैदा हुए जो,शायर बनते जायेंगे
है परस्तिश और इबादत शायरी
शिद्दत से ही आगे बढ़ते जायेंगे
मक़्ता…
नफरतों से क्या हुआ हासिल’वैभव’
प्यार की हर शै पे लिखते जायेंगे
बहुत खूब…. सुंदर व भावपुर्ण सृजन |
बढिया गजल !
उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभार सर जी
बहुत ही सुन्दर भाव बन पडा है।
आपकी प्रतिक्रिया ने उत्साह बढ़ाया है
धन्यवाद
सराहना हेतु हृदय से धन्यवाद
राजीव जी