राम नाम क्यूँ भूल गए
धन वैभव की चकाचौंध में
महत्वपूर्ण काम क्यूँ भूल गये।
जिसकी कृपा से ऐश्वर्य मिला
वो राम नाम क्यूँ भूल गये।
जीवन रेत का ताजमहल है
कब ढह जाये खबर नहीं।
बस हाथ मलते रह जाओगे
तुम अभी जो जागे अगर नहीं।
अपनी दिन-रात की मेहनत में
प्रभु की एक शाम क्यूँ भूल गये।
जिसकी कृपा से ऐश्वर्य मिला
वो राम नाम क्यूँ भूल गये।
पाने को तो पा ली तुमने
मंजिल अपने अरमानों की।
मगर बुनियाद खोखली ही रही
तेरे आलीशान मकानों की।
मय,माया,मन के गुलाम बन
माटी है तन,अंजाम क्यूँ भूल गये।
जिसकी कृपा से ऐश्वर्य मिला
वो राम नाम क्यूँ भूल गये।
जय श्री राम… पढकर मन अति प्रसन्न हो गया | आपकी इस रचना में जीवन का वो सत्य झलक रहा है जो हम जीवन की आपा-धापी में अक्सर भूल ही जाते हैं | मैं हनुमान जी की परम भक्त हूँ सो मुझे राम नाम अति प्रिय है,क्योंकि वो श्री हनुमान जी को अत्यंत प्रिय है | सुंदर सृजन |
बहुत खूब !
आभार सर जी
हृदय से आभार सर जी