गीतिका/ग़ज़ल

गजल

मन के सूने कोने में इक याद अभी बाकी है
ज़ख्म सारे भर गए पर दाग अभी बाकी हैं

समेट ली है शमाओं ने बिखरी रौशनी अपनी
दिल में उम्मीद का जलता चिराग अभी बाकी है

मिटा दिए सबूत उसने अपनी बेवफाई के
टूटा दिल बनकर मेरा सुराग अभी बाकी है

गुजर गयी उम्र सारी इक ख़ुशी की तमन्ना में
लगता है ग़मों का इक सैलाब अभी बाकी है

यूँ तो बिखरते रहे सपने ताउम्र मेरे, लेकिन
टिमटिमाता हुआ इक ख्वाब अभी बाकी है

सिखाती रही ज़िन्दगी हर पल नया सबक हमें
मांगी हुई दुआओं का हिसाब अभी बाकी है।

— प्रिया वच्छानी

*प्रिया वच्छानी

नाम - प्रिया वच्छानी पता - उल्हासनगर , मुंबई सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने E mail - [email protected]

One thought on “गजल

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    जे बात बहना
    उम्दा रचना

Comments are closed.