भाई तो परदेस बसा है….
भाई तो परदेस बसा है, मैं पर बस इस देश।
ओ कागा ले आ रे उसके, आने का संदेश॥
दीपक चंदन और रोली का, थाल सजाये बैठी हूं।
राखी लिये हाथ नयनों को, राह बिछाये बैठी हूं॥
तेरे माथे तिलक करूं, बिसरा कर मन का कष्ट कलेश…
ओ कागा ले आ रे उसके, आने का संदेश…
चूम के तेरा माथा भैया, राखी बांधू हाथ।
आजा तुझपे वार दूं मैं आशीषों कि सौगात।
तू मेरी दुनियां औ भैया, तू ही शेष महेश…
ओ कागा ले आ रे उसके, आने का संदेश..
जब तक ना आओगे भैया, कंठ ना उतरे नीर।
जब तक तुझको ना देखूंगी, मिटे ना मन की पीर॥
औ भैया ओ चंदा, आजा इस त्यौहार विशेष…….
ओ कागा ले आ रे उसके, आने का संदेश….
सतीश बंसल
बहुत ही सुन्दर रचना है
शुक्रिया अखिलेश जी…