उड़ेंगी बिटिया
नीतू भतीजी , डॉ बिटिया महक , प्रीती दक्ष , स्वाति , मोनिका
संग
बहुत सी बिटिया
रब ने दिलाई
कोखजाई एक भी नहीं
ना इनमें से किसी से
मेरा गर्भनाल रिश्ता है
लेकिन जो रिश्ता है
उसके लिए गर्भ का
होना न होना मायने नहीं रखता
हम एक दूसरे के आंसू
शायद ना पोछ पायें
लेकिन आंसू दिखलाने में
कमजोर महसूस नहीं करते
खुशियाँ बांटने के लिए भी
बच्चों की तरह उछलते हैं …….
आप सोच रहे होंगे , आपको बता बोर क्यों कर रही हूँ ……
बेटिया वो ही नहीं होती , जिसे हम जन्म देते हैं ….
तब तो प्यारा तोता पिंजरा में हो गया
सिंधु कुँए में कैद हो गया
सोच का दायरा बढ़ना चाहिए
बेटा जोरू का गुलाम
समझा नहीं जाना चाहिए
बेटा को ही प्यार करने से , यशोदा को नहीं जाना जाता
3 महीनों के दौरान माँ बनने की अनुभूति करने वाली स्त्री इतनी कमजोर कैसे हो जाती है कि गर्भपात के लिए तैयार हो जाती है
उपयोग पर गलत नहीं हो जाता कोई अविष्कार
हर कफसिरप में अल्कोहल होता है
~~~~~~~ किसी ने कहा
जिस घर में बेटी दी जाती है ; उसके भरण पोषण का खर्चा , पूरी जिंदगी वो घर उठाता है तो दहेज स्वाभाविक चीज है
_____________________ भरण पोषण घर तो पहले भी नहीं उठाता था …… आँख खुलने से लेकर आँख बन्द होने तक मुफ़्त की नौकरानी धोबिन नर्स मिलती थी …… अब तो पकाने से लेकर कमाने वाली भी मिलती है
~~~~~~~ किसी ने कहा
हम अपने लिए कुछ थोड़े ना मांग रहे जो दे रहे अपनी बेटी को ख़ुशी खुशी दे रहे हैं
______ कुछ बेटियाँ अपवाद होती हैं जो मांग मांग कर जबरदस्ती अपना दहेज तैयार करवाती हैं ….
अपवाद को छोड़ दें तो दहेज देने में कितने माँ बाप खुश होते हैं
_______ दहेज को बेटी को दिया तोहफा का नाम मत दीजिये
~~~~~~~ किसी ने कहा
पिता के अर्जित धन में से जो दहेज मिल जाता है ; वही तो बेटी को मिल पाता है , सब तो बेटों को ही तो मिलता है
___________ पिता के अर्जित धन में से बेटियों को भी मिले ये तो कानून में भी है ….. पिता की जिम्मेदारियों को बेटियाँ भी उठाये ये भी कानून हैं …… कितने ससुराल वाले सहयोग करते कि बेटियाँ आजादी से वो जिम्मेदारी पूरा कर सके
__________ तब तो केवल बेटों की ओर समाज देखता और बहुओं को जिम्मेदारियों को याद दिलाया जाता है ….. क्यों नहीं बेटियाँ आकर भाभियों को राहत का पल देती हैं
__________ अपवाद नहीं देखना मुझे
हाँ नहीं तो और क्या
द+हे+ज
द(विशेषण)=दाता
ज(विशेषण)=उत्पन्न करने वाला
??
दहेज के जन्मदाता हम
पालनकर्ता हम
तो समूल मिटाने वाला कौन होगा
हो चुका जो हो चुका
चूक तो बहुत हुई
चूका तो बहुत मौका
सुधरने सुधारने का जोश चढ़ा है
तो मौका है खा लो ना सौगन्ध
ना दोगे ना लोगे दहेज
कोर्ट मैरेज का कानून बना है
शुरुआत मैं कर चुकी
सब क्यों चूके मौक़ा
ना सताये समाजिक रूतबा
लोग क्या कहेंगे …… लोगों का तो काम ही है कहना
कोरी बातें जितना करवा लो
लम्बी लम्बी डींगे हांकवा लो
करने का वक़्त आयेगा तो
बगले झँकवा लो
बेटे की माँ को बेटे के जन्म से ही उसकी शादी का
शौक का नशा चढ़ा रहता है
तो बेटी की अम्मा तो गुड़िया की शादी शादी खेलती
आत्मजा में अपने सपने संजोये रहती है
डर लगेगी बिटिया कैसे ब्याही जायेगी
डर को दफन करो
मचलेगी बिटिया
उड़ेगी बिटिया
बहन जी , आप का लिखा बहुमूल्य है , बेटीओं के प्रति सोच बदलने की जरुरत है और दाज तो हमारे समाज पे एक कलंक है .