दोहों में पापों का घड़ा
खुद के बने रिश्तों में ,मची संपत्ति रार।
गुनाहों के जालों में , फँस गए राजदार । 1
चकाचोंध की चमक ने , किया है चकाचोंध ।
पापों का घड़ा फूटा , खुली जगत में पोल । 2
माया ठगनी है ठगे , कुकरनी खेल चाल ।
ेसाजिशों के घेरे में , मिले ताल से ताल । 3
संस्कार की सीमाएँ , इन्द्राणी है लांघ ।
झूठी रेखाएँ खीँच , खीँच रही है टांग ।4
— मंजु गुप्ता
वाशी , नवी मुम्बई