मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच , दिल्ली द्वारा आज मंजु गुप्ता के घर द्वारका सोसाइटी , वाशी , नवी मुंबई में वसन्त पंचमी , महात्मा गांधी जी की पूण्य तिथि पर एक साहित्यिक कवि गोष्ठी , साहित्यिक सम्मान कार्यक्रम रखा गया। आयोजक कवियित्री , लेखिका ,शिक्षिका डॉ मंजु गुप्ता ने एक शाम मां के नाम , […]
Author: मंजु गुप्ता
मुक्तकों में हिंदी
गर्व से हिंदी में सिखाती हूँ शान से हिंदी में पढ़ाती हूँ आजीविका भी हिंदी से जुड़ी हिंदी को ओढ़ती – बिछाती हूँ । १ सुरवाणी से जन्मी है हिंदी , है यह देश के भाल की बिंदी , राष्ट्र संघ ने भी महिमा जानी ; भारतवासी की भाषा हिंदी . २ है हिन्दी युगों […]
जन्मे कृष्ण मुरारी
मथुरा में जब पाप बढ़ा था , कंस से लोग घबराए वसुदेव -देवकी जेल गए , रिश्ते कुल के थर्राए । बेड़ियों में उनको जकड़ के , पहरा कड़ा था बिठाया । क्रूर कंस के अनाचार ने जुल्म उन पर करावाया । हुई देवकी की गोद हरी , ईश ने कृपा बरसायी । भाद्रपद की […]
हरियाली तीज गीत
मेरा मन लोचे घेवर को , हरियाली तीज है आयी । आयी ऋतु सोलह श्रृंगार की , आयी सावन के फुहार की , आयी अरमान के बहार की , आयी तेरे मेरे प्यार की । मेरा मन लोचे चुनर को , मतवाली तीज है आयी । वेणी ने बालों को सजाया , सिंजारा पीहर से […]
कविता – महानायक मोदी
कलम जय लिख रही मोदी की , करे बखान व्यक्तित्व का । कुशल चितेरा मोदी जी का लिखती गौरव कृतित्व का । थे पिता दमोदर दास और हीराबेन माता मिली । संस्कार से धनी बचपन था , थी जीवन की भोर खिली । सूरज सम जीवन है उनका , संघर्षी आग में जला । परिश्रम […]
बाल दिवस पर प्रस्तुति : नयी सदी की खनक
धुंधलाने न दे नन्हें विटपों का सवेरा , उम्मीदों की उड़ानों से भरा है चेहरा , छोटे हैं पर सपने इनके खूब बड़े – बड़े , दे बड़ें इन्हें आकार आगे हैं ये बढ़ें । नयी तकनीकियों में झूल रहा है संसार , नोनिहालों का बचपन करे है ये दुश्वार , दे के इनको अपनी […]
जन्मदिन की ग़ज़ल
भेजूँ जन्मदिन पर गजल उपहार , करूँ शुभकामनाओं का इजहार। हो आशाओं की मंजिल बुलंद , करे सारे सपनों को साकार । लबों पर छाए ऐसी मुस्कान , जैसे अपनों का बरसता प्यार । जीवन के दुर्गम पथ पर तुम को , मिले सदा सफलता सदाबहार । दुआओं की दौलत से ‘ मंजू ‘, उतार […]
ग़ज़ल
संवेदनाओं के अंकुर में छायाअन्धकार है रिश्तों के फलसफों में माँ !हासिए से भी पार है माँ ! के हर्फ में बसी ममता की कितनी मिठास है रख के माँ ! को वृद्धाश्रम में बनाया सरोकार है बचपन में ककहरा माँ ने सिखाया था कई बार पूछने पे लाल कहें क्यों करे काँव- काँव बार […]
गीतिका
अल्लाह के नूर – सी लगती जग में देखो माँ सत्यं -शिवं – सुंदरं दिखती जग में देखो माँ अपनी परवाह जरा भी न कर के संतान को सारे सुख न्योछावर करती जग में देखो माँ अपने परिवार में संतुलन का पहिया बन के गृहस्थी की गाड़ी खिंचती जग में देखो माँ विभिन्न गतिविधियों की […]
कविता : भैया दौज का त्यौहार आया
भैया दौज का त्यौहार आया बहन – भाई का प्यार लाया परदेश से भेज रही बहना मन्नत का कलावा खुशहाली की रोली -अक्षत , चंदन शुभ मुहूर्त में पावन तिलक लगा के हम सब बहनों को याद कर लेना । बचपन में माँ ने करवाई समृद्ध संस्कारी यह रस्म जिससे खुल जाए सभी भाइयों का […]