नैन दर्शन को तरसे हैं श्याम…
नैन दर्शन को तरसे हैं श्याम , कान्हा सूरत दिखा दो।
दर्द बढने लगें हैं तमाम, प्रेम बंसी बजा दो॥
बढ रहें अंधेरे धरा पर, पाप सब को है घेरे यहां पर।
लेके आ जाओ युग फेर द्वापर, पापियों को मिटा दों॥
दर्द बढने लगें हैं तमाम, प्रेम बंसी बजा दो…
सर मुकुट मोर पंखो का साजे, बांसुरी धर अधर आ भी जाओ।
बाट जोहते है, मधुबन तुम्हारी रास फिर से रचा दो…..
दर्द बढने लगें हैं तमाम, प्रेम बंसी बजा दो…
बह रही अश्रु धारा हे! मोहन, दीन की कोई सुनता नहीं हैं।
प्रेम के नाथ सागर हो तुम तो, करके करुणा तरा दो…
दर्द बढने लगें हैं तमाम, प्रेम बंसी बजा दो….
तुम खिवैया हो सारे जगत के, मेरे जीवन की नैया भी तारो।
तुमने तारे हैं दोनों जहान, मुझको भी आसरा दो….
दर्द बढने लगें हैं तमाम, प्रेम बंसी बजा दो…
सतीश बंसल