गीत/नवगीत

नैन दर्शन को तरसे हैं श्याम…

नैन दर्शन को तरसे हैं श्याम , कान्हा सूरत दिखा दो।
दर्द बढने लगें हैं तमाम, प्रेम बंसी बजा दो॥

बढ रहें अंधेरे धरा पर, पाप सब को है घेरे यहां पर।
लेके आ जाओ युग फेर द्वापर, पापियों को मिटा दों॥
दर्द बढने लगें हैं तमाम, प्रेम बंसी बजा दो…

सर मुकुट मोर पंखो का साजे, बांसुरी धर अधर आ भी जाओ।
बाट जोहते है, मधुबन तुम्हारी रास फिर से रचा दो…..
दर्द बढने लगें हैं तमाम, प्रेम बंसी बजा दो…

बह रही अश्रु धारा हे! मोहन, दीन की कोई सुनता नहीं हैं।
प्रेम के नाथ सागर हो तुम तो, करके करुणा तरा दो…
दर्द बढने लगें हैं तमाम, प्रेम बंसी बजा दो….

तुम खिवैया हो सारे जगत के, मेरे जीवन की नैया भी तारो।
तुमने तारे हैं दोनों जहान, मुझको भी आसरा दो….
दर्द बढने लगें हैं तमाम, प्रेम बंसी बजा दो…

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.