*****राजनीति पर कुछ दोहे*****
पल में मिलते हैं गले, पल में लातम लात।
राजनीति के खेल में, हर पल होती घात।।
लूट रहे है देश को,पहन शराफत खोल।
खण्ड-खण्ड हो जायगा, भारत का भूगोल ।।
सबके अपने रंग है,सबके अपने ढंग।
कोई महलों में पले,हाल किसी के तंग।।
न्याय-व्यवस्था पंगु है, भ्रष्टाचार अपार ।
लूटन को देखो खड़े, अनगिन ठेकेदार ।।
हाथ जोड़कर मांगते, पहले तो ये वोट।
सुख सत्ता का जो मिले, दे महँगाई चोट।।
भले-भले से है लगे, उजले दिखते रंग।
मंत्री पद पर बैठ कर, दिखलाते फिर ढंग ।।
**********गुंजन”गूँज”***********
प्रिय सखी गुंजन जी, यथार्थ पर आधारित अति सुंदर दोहों के लिए आभार.
बहुत अच्छे दोहे, गुंजन !
शुक्रिया भैया ,,देरी के लिए क्षमा ../..
शुक्रिया भैया ,,देरी के लिए क्षमा ../..
वाह गुंजन जी
एक से बढ़कर एक दोहे.
.न्याय-व्यवस्था पंगु है, भ्रष्टाचार अपार ।
लूटन को देखो खड़े, अनगिन ठेकेदार ।।
आभार सराहना हेतु आदरणीय
सत्य कथन
शुक्रिया दी
शुक्रिया दी