मुक्तक/दोहा

*****राजनीति पर कुछ दोहे*****

पल में मिलते हैं गले, पल में लातम लात।
राजनीति के खेल में, हर पल होती घात।।

लूट रहे है देश को,पहन शराफत खोल।
खण्ड-खण्ड हो जायगा, भारत का भूगोल ।।

सबके अपने रंग है,सबके अपने ढंग।
कोई महलों में पले,हाल किसी के तंग।।

न्याय-व्यवस्था पंगु है, भ्रष्टाचार अपार ।
लूटन को देखो खड़े, अनगिन ठेकेदार ।।

हाथ जोड़कर मांगते, पहले तो ये वोट।
सुख सत्ता का जो मिले, दे महँगाई चोट।।

भले-भले से है लगे, उजले दिखते रंग।
मंत्री पद पर बैठ कर, दिखलाते फिर ढंग ।।

**********गुंजन”गूँज”***********

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

9 thoughts on “*****राजनीति पर कुछ दोहे*****

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी गुंजन जी, यथार्थ पर आधारित अति सुंदर दोहों के लिए आभार.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छे दोहे, गुंजन !

    • गुंजन अग्रवाल

      शुक्रिया भैया ,,देरी के लिए क्षमा ../..

    • गुंजन अग्रवाल

      शुक्रिया भैया ,,देरी के लिए क्षमा ../..

  • वैभव दुबे "विशेष"

    वाह गुंजन जी
    एक से बढ़कर एक दोहे.

    .न्याय-व्यवस्था पंगु है, भ्रष्टाचार अपार ।
    लूटन को देखो खड़े, अनगिन ठेकेदार ।।

    • गुंजन अग्रवाल

      आभार सराहना हेतु आदरणीय

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सत्य कथन

    • गुंजन अग्रवाल

      शुक्रिया दी

    • गुंजन अग्रवाल

      शुक्रिया दी

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