ग़ज़ल
आप को रूह से चाहता कौन है
पूछते तब भी हो बावफा कौन है
इल्म की राह है मुश्किलों का सफर
बंदगी में खुदाया, मिटा कौन है ।
देख के गैर की महफ़िलो में तुझे
लोग हैं पूछते, बेवफा कौन है ।
मतलबी लोग है इस जहाँ के मगर
डूबती नाव पर, बैठता कौन है ।
लाल होता लहू हर किसी का खुदा
लोग मिलते नही, रोकता कौन है ।
याद है आज भी संगदिल वो सनम
चोट खा कर धरम, बोलता कौन है ।
धर्म पाण्डेय
अच्छी गजल !