बिटिया के जन्मदिवस पर विशेष
आज मेरी बिटिया के जन्मदिवस पर विशेष। आप सब का आशीष अपेक्षित है।
मैं सब कुछ भूल जाता हूँ वो जब भी मुस्कुराती है,
मैं घर आऊँ तो मुझको देखके बाहें फैलाती है,
समझता हूँ खुद को मैं जहां में सबसे खुशकिस्मत,
मेरी नन्हीं परी जब-जब मुझे पापा बुलाती है,
नहीं वो माँगती मुझसे मेरी औकात से बढ़कर,
नज़र भर देख लो इतने में ही वो खुश हो जाती है,
भरी आँखों से मैं तो देखता रहता हूँ छुप-छुप के,
मेरी गुड़िया जब भी गुड़ियों की शादी रचाती है,
ओ माँ की कोख में ही बेटियों को मारने वालो,
तुम्हें मालूम क्या इक बेटी घर को घर बनाती है,
— भरत मल्होत्रा।
बहुत खूबसूरत गजल ! बेटी संसार में सबसे प्यारी होती है।
मल्होत्रा जी ,ग़ज़ल बहुत बहुत अच्छी लगी .मेरी भी दो बेतीआं हैं . अब तो उन के बच्चे भी बड़े हो गए हैं , लेकिन जितना पियार उन दोनों से मिला और मिल रहा है ,मैं बिआं नहीं कर सकता . आप की बेटी को जनम दिन की वधाई हो , जिंदगी में ढेरों खुशीआं हासल करे और आप दोनों पती पत्नी को मेरे ओर से वधाई हो .