कविता

आखिर बात क्या है..

बात बात पर मुस्काने लगे हो
आखिर बात क्या है।
खुद को कुछ और दिखाने लगे हो
आखिर बात क्या है।
कुछ अलग सा लगता है, अन्दाज ऐ जिन्दगी
खुद को खुद से भी छुपाने लगे हो, आखिर बात क्या है॥

चेहरे के भाव लबों से मेल नही खाते, आखिर क्या बात है
तुम जो होते हो वो नजर नही आते, आखिर क्या बात है।
कभी दिल का आईना हुआ करता था, आपका चेहरा
आजकल खुद को सामने नही लाते, आखिर बात क्या है॥

मेरी हर बात पर कुछ ज्यादा गौर फरमाते हो, आखिर बात क्या है
ऐसा लगता है हर पल कुछ खास कहना चाहते हो,आखिर बात क्या है।
और जानते हो कि दिल की हर धडकन तुम्हारा हसल बता देती है
फिर भी हर बात मुझसे छुपाते हो, आखिर बात क्या है॥

तुम्हें क्या लगता है, तुम्हारी हंसी तुम्हारा हर दर्द दबा लेगी
बनावटी मुस्कुराहट, गम के आंसू हर ठौर छुपा लेगी।
तुम जितना चाहो हर घडी, चेहरे के भाव लाख छुपा लो
पर मेरी मोहब्बत तुम्हारे दर्द का हर छोर पा लेगी॥
तुम जानत होेे मेरी सांसे, मेरा जीवन सिर्फ तुम्हारी सौगात है…
फिर भी मुझसे गम छुपाते हो, आखिर बात क्या है..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

3 thoughts on “आखिर बात क्या है..

  • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

    वाह ! बहुत सुंदर रचना
    आखिर बात क्या है

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह! क्या बात है !!

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया विजय जी, खुशी जी…

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