दोहों में बेटी
अब की बार बहार में , आया खूब निखार।
है बेटी के जन्म से, महक गया संसार । १
बिटिया ऐसी लाडली , जैसे महक गुलाब।
उसकी बाल छवियों पर , झूमें माँ का प्यार। २
माँ तुझे मारा होता ,जरा इसे तू सोच ।
दे दरिंदों को सुमति, न मसलें कली कोख । ३
वह गुड़िया , वह पालना , बचपन की मुस्कान।
खेलों के संसार में , रंगी नन्हीं जान। ४
माँ – सुता की जोड़ी पर. हर कोई करे नाज।
होती माँ का प्रतिरूप , एक दुजे की जान। ५
न सिसके भ्रूण लोक में , नन्हीं कोई लाज
न रूठे जगत में ‘ मंजु ‘ , बेटी की मुस्कान ।
मैके को महकाती , महकाती ससुराल।
प्रीत – रीत का रिश्ता , महके सालों साल। ७
पुत्री अब पुत्र से बढकर , दे जीवन भर साथ ।
सुख – दुःख की धडकनों सी , बन साँसों की ढाल । ८
सारे जग के सुख मिले , खुशियाँ मिलें अपार।
सुहाग की लालिमा से , दुःख हो जाएं पार। ९
तुकांत को सही सही परखें
अधिकांश दोहे तकनीकी दृष्टि से बहुत कमज़ोर हैं।