हिंदी से हिन्दू, उर्दू से मुसलमान, किसने बनाया यह नियम
शादी के बाद …… मेरे पापा की लिखी चिट्ठी …… मुझे लिखी , पढ़ने को मिली (शादी के पहले हमेशा साथ रहने की वजह) …. चिट्ठी की ख़ासियत ये होती थी कि ….. कभी वे भोजपुरी से शुरुआत करते तो ….. मध्य आते आते हिंदी में लेखन हो जाता था या ….. कभी हिंदी से शुरुआत करते तो मध्य आते आते भोजपुरी में लेखन हो जाता था ….. बेसब्री से इंतजार रहता था उनकी चिट्ठियों का …. तब मोबाइल नहीं था …. लैंड लाइन भी तो नहीं था …….
मेरे माइके में हम सभी घर में भोजपुरी में बात करते थे …… सहरसा में जबतक हमारा परिवार रहा ; घर के बाहर मैथली का बोलबाला था , सबसे मैथली में बात करना पड़ा …… बहुत ही मीठी बोली है *मैथली* ……. जब पापा सहरसा से सीवान आ गए तो घर बाहर केवल भोजपुरी का सम्राज्य हो गया …. आरा छपरा घर बा कवना बात के डर बा
शादी के बाद रक्सौल आये तो घर बाहर भोजपुरी का ही राज्य था लेकिन केवल मेरे पति को मुझसे हिंदी में बात करना पसंद था ….. फिर राहुल का जब जन्म हुआ तो राहुल से सब हिंदी में ही बात करने लगे ….. इनकी नौकरी में बिहार (तब झारखंड बना नहीं था) में कई जगहों पर रहने का मौका मिला …..
भोजपुरी+मगही+ मैथली+आदिवासी+हिंदी+उर्दू = खिचड़ी मजेदार लज्जतदार मेरी भाषा
1
शब्दों की खान
हिंदी उर्दू बहनें
भाषायें जान
2
हिंदी समृद्धी
हर धारा मिलती
माँ कहलाती
मेरे रिश्तेदार भी सासाराम बिहार में रहते
हैं
जब मैं उनके मुख से सुनता हूँ
अच्छा लगता है
भोजपुरी बहुत मीठी बोली है..
सुंदर लेख आदरणीया
सच है
हिंदी को प्रोत्साहन की अत्यंत
आवश्यकता है।
सबको अपने हृदय लगाती
भेदभाव न कभी मनाती
अन्य भाषाओं का भी मान करे
माँ की ममता जैसी है हिंदी
अच्छा लेख ,काश मैं भी भोज पुरी जैसी और भी ज़बाने जानता होता , हर ज़ुबान का अपना ही एक मज़ा होता है .
भोजपुरी सीखलअ बहुतेअ आसान बा भइया
सादर
अच्छा लेख !
बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी