महिला सरपंच
पद शोहर के पास गिरवी धरा
राजनिती के गलियारो में
घूंघट ओढे खड़ी महिला सरपंच हूँ – मैं !
क्या हुआ आरछण मुझे मिला
वोटो के भंवर में बस शतरंज
का एक मोहरा हूँ – मैं !
मेरा सशक्तिकरण कुछ नही
क्या फैसले ले रहा मेरे हक के
इससे अंजान हूँ – मैं !
क्या बदलाव चाहती समाज में
कोई सरोकार नहीं आवाज उठाऊ
तो कुलीन कहलाऊ – मैं !
कैसा भावनात्मक खिलवाड़
मेरा राजनीति की रानी सिपाहियो
से घिरी खड़ी – मैं !
— गीता यादव
कड़वी सच्चाई
ऐसी ही महिला सरपंच को मैं भी जानती हूँ