माँ का ही अवतार है हिन्दी
भारत का श्रृंगार है हिन्दी,
हम सब का संस्कार है हिन्दी,
हर बेटे का प्यार है हिन्दी,
माँ का ही अवतार है हिन्दी।
रामायण का विस्तार है हिन्दी,
गीता के पावन सार है हिन्दी,
माँ गंगा की धार है हिन्दी,
माँ का ही अवतार है हिन्दी।
युद्धों में ललकार है हिन्दी,
योद्धा की तलवार है हिन्दी,
जीत की जय जयकार है हिन्दी,
माँ का ही अवतार है हिन्दी।
फिल्म की शिल्पकार है हिन्दी,
गानों की शब्द संसार है हिन्दी,
अद्भुत कला बाजार है हिन्दी,
माँ का ही अवतार है हिन्दी।
कविता का आधार है हिन्दी,
कहानी का किरदार है हिन्दी,
शब्द अलंकृत हार है हिन्दी,
माँ का ही अवतार है हिन्दी।
बड़े बड़े अखबार है हिन्दी,
बड़े बड़े व्यापार है हिन्दी,
देश की पालनहार है हिन्दी,
माँ की ही अवतार है हिन्दी।
— नीरज पान्डेय
Bahut khoob
आपको सादर प्रणाम, सादर धन्यवाद।
बहुत खूब !