आँखें…
चाहे जितना छुपाओ, दिल का हर राज खोल देतीं है
बडी ही बातूनीं हैं आपकी आँखें हर बात बोल देती हैं॥
कह देती है पूरी की पूरी गजल, एक इशारे में।
एक ईशारे में, कई जाम का नशा घोल देती हैं॥
बडी ही बातूनीं हैं आपकी आँखें, हर बात बोल देती हैं…..
हया से झुकती, है तो हजार अफसाने बना देती है।
अदा से उठती है, तो बहारों के झरोखे खोल देतीं हैं॥
बडी ही बातूनीं हैं आपकी आँखें, हर बात बोल देती हैं…..
बिना बोलें ही, अपना बना लेने का हुनर क्या कहूं।
देखकर जब भी पलटती है, धडकनों को झोल देतीं हैं॥
बडी ही बातूनीं हैं आपकी आँखें, हर बात बोल देती हैं…..
थोडा रहम खाओ, काजल के डोरे से बांध लो ।
जब भी देखतीं हैं, दिलों में कसक बेतौल देती है….
चाहे जितना छुपाओ, दिल का हर राज खोल देतीं है
बडी ही बातूनीं हैं आपकी आँखें हर बात बोल देती हैं॥
सतीश बंसल
बहुत खूब !
बहुत शुक्रिया बिजय जी…