काम प्यारा होता है चाम नहीं
हर वक्त माँ चिल्लाती थी
जब डांट लगाती
यही कुछ बड़बड़ाती थी
बड़े लाड-प्यार से पाला था
चार लड़कों के साथ हमें भी दुलारा था
पर जब होने लगे हम बड़े
रसोई के आस-पास नही होते खड़े
तब गुस्से में आ कभी -कभी
खूब झाड़ पिलाती थी
काम प्यारा होता है
चाम होता नहीं प्यारा|
ससुराल में शक्ल नहीं देखेगे
काम ही करवा कर दम लेगें
थोड़ा तो कुछ काम सीख लो
लड़कों सी पल रही हो
नाज नखरे सब जो कर रही हो
शादी कर जब दूजे घर जाओगी
नहीं यह सब कर पाओगी
शक्ल देख कोई नहीं जियेगा
अपनी भाभी की तरह तुम्हें भी वहा रहना पड़ेगा
सुन्दरता लेकर नहीं चाटना है
अभी काम बहुत तुम्हें सीखना है
सब काम सीख लोगी तो हाथों-हाथ रहोगी
वरना सास हमेशा कोसती ही रहेगी
काम प्यारा होता है होता नहीं चाम प्यारा
अच्छा होगा सीख लो घर का काम सारा |
++++सविता मिश्रा ++++