ग़ज़ल
ख्वाब क्या ताबीर क्या ये क्या खबर,
ज़ुल्फ क्या जंजीर क्या ये क्या खबर
दिल की सुनते हैं दिल की कहते हैं,
तकरीर क्या तहरीर क्या ये क्या खबर
तदबीर से हासिल किया जो भी किया,
नसीब क्या तकदीर क्या ये क्या खबर
हमको मुहब्बत बस तुम्हारे फन से है,
तू क्या तेरी तस्वीर क्या ये क्या खबर
इश्क से तार्रूफ हुआ ना आज तक,
असर क्या तासीर क्या ये क्या खबर
— भरत मल्होत्रा।
सुंदर गज़ल