गीतिका/ग़ज़ल

याद रहेंगे..

गजल..
221 1221 1221 1211

मतला..
दीवार गिरे बैर कि गम शाद रहेंगे
इन्सां कु किये खैर करम याद रहेंगे

अशआर..
दहलीज कु है दर्द कि दरख्त भि बन्द हैं
टूटकर बिखर जाए,करम याद रहेंगे

तहजीब कि महफ़िल भि सजी देख नुमाइश
महफूज दुआ माँ कि,वहम याद रहेंगे

हमदर्द कु सब्जबाग दिखा तोड़ दिया दिल
हमराज मुझे तिरे दिये जखम याद रहेंगे

मक़्ता…
प्यासी हि रहीं राहें मिरे इश्क कि ‘वैभव’
था दूर कहीं नीर,भरम याद रहेंगे

वैभव दुबे "विशेष"

मैं वैभव दुबे 'विशेष' कवितायेँ व कहानी लिखता हूँ मैं बी.एच.ई.एल. झाँसी में कार्यरत हूँ मैं झाँसी, बबीना में अनेक संगोष्ठी व सम्मेलन में अपना काव्य पाठ करता रहता हूँ।