कविता

दफन हया है, तार तार मर्यादा है…

दफन हया है, तार तार मर्यादा है।
हर कोई दानवता पर आमादा है॥
जानें दौलत का, ये कैसा नशा चढा।
मूल्यों की लाशों पर, आदम हुआ खडा॥
बहा रहा है आंसू, रिश्तों का आंगन।
हर कोई अपनी दुनियां में हुआ मगन॥

अब रुपया भाई है, रुपया बहना है।
रुपया चाल चलन, आदर का गहना है॥
इसके आगे हर नाता बेमानी है।
सब कुछ रुपया, बाकी पानी पानी है॥
तेरी हवस ने निगल लिये, पावन नाते।
लाशों पर चलकर भी लोग, तुझे पाते॥

नीति रीति धनवानों का, गुणगान करे।
कौन भला अब, दीन हीन का ध्यान धरे॥
उनकी आहों को, सुनता है कौन यहां।
उनकी बारी आने पर, सब मौन यहां॥
उनके जीवन मरण की है, परवाह किसे।
ऐसे तुच्छ मलीनों की है, चाह किसे॥

कोख में ही दम तोड रही है, जग जननी।
कफन मौत के ओढ रही है, जग जननी॥
सहमी सी रहती है, मर मर जीती है।
रो लेती है, गम के आंसू पीती है॥
आग कभी, तेजाब में जलती है नारी।
हर युग अंगारो पर, चलती है नारी॥

अन्न उगाने वाला, भूखा मरता है।
वोट उगाहने वाला, शाशन करता है।
छप्पन भोग लगाने वालों, सोचो तो।
नित नव व्यंजन, खाने वालों सोचो तो।
खुद को फांसी पर, जब वो लटकाता है।
कैसे अन्न, तुम्हारे हलक में जाता है॥

दरबारों से, बाहर निकल के देखो तो।
दर्द हमारा भी, तुम चल के देखो तो।
आंसू है मातम है, और गम ही गम है।
जितना भी रोते है, उतना ही कम है।
जागो सत्ता के मद में, सोने वालों।
शर्म हया लज्जा, सब कुछ खोने वालों।
आओ देखो, कांटों के इस जंगल को।
भ्रष्टाचार के बीजों को बोने वालों॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

2 thoughts on “दफन हया है, तार तार मर्यादा है…

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    उम्दा सोच
    अद्धभुत लेखन

    • सतीश बंसल

      हौसला बढाने के लिये आपका हृदय से आभार.. विभा जी…

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