कविता

आंसू

इन आँखों में उनके लिए
यूँ आंसू न बहाये होते
पर पल उनकी यादों में मरके
यूँ यादो के दिए न जलाये होते
न जीते हर लम्हा उनके नाम का
न हम उनके सताये होते
काश पहले समझ पाता
की वो बेवफा निकलेंगे
तो आज यूँ जिन्दा लाश बनके
न अपनी ही आस्तियों के पुष्प
आंसुओं संग बहाये होते

हाँ वो बेवफा थे
वरना न रोता देख के वो मुस्कुराये होते
हाँ वो बेवफा थे
वरना यूँ मजबूरियों का वास्ता देके
वो इस कदर न तड़पाये होते
मजबूरियां कितनी भी हों
मोम को पथ्थर नही बना सकती
जिन्हें हमने मोम समझा था
वो खुद पथ्थर न बन पाये होते
काश पहले समझ पाता
की वो बेवफा निकलेंगे
तो रब की नज़रों में उन्हें
जीवन साथी न बनाये होते
आज यूँ जिन्दा लाश बनके
न अपनी ही आस्तियों के पुष्प
आंसुओं संग बहाये होते

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]