उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-33: एंथोनी का अंत

कमिशनर ने एंथोनी की बात मान ली एक कार का इंतजाम किया गया उस कार में पचास लाॅख रूपयो से भरा एक बैग रखा गया पर ब यह सोच रहे थे कि एंथोनी के साथ जायेगा कौन तभी एंथोनी खुद बोला समीर मल्होत्रा तुम मेरे साथ चलोगे और मुझे छोड़ोगे तब मैं तुमसे फोन से कंपनी को पासवर्ड दूंगा पर स्नेहा को डर लग रहा था और वह मना भी नहीं कर सकती थी क्योंकि राजेश जी की कंपनी आज समीर और स्नेहा के कारण ही आखिरी कगार पर है।
समीर एंथोनी के साथ जाने को तैयार हो गया एंथोनी ने समीर की तलाशी ली और समीर का मोबाइल अपने पास रख लिया और अपना समीर को दे दिया फिर दोनों कार में बैठ गये और वहां से चले गये वह दोनों शहर से काफी दूर निकल चुके थे तब समीर बोला अब तो बता दो पासवर्ड तब एंथोनी बोला इतनी जल्दी क्या है अभी पूरे दस मिनट है और एंथोनी ने कर जंगल की तरफ मोड़ ली तब समीर बोला तुम कहां ले जा रहे हो अगर उस जगह नेटवर्क नहीं आये तो तब एंथोनी बोला मैं यहां आता रहता हूॅ तो मैं तुमसे बेहतर जानता हूॅ कि कहां नेटवर्क आते हैं और कहाँ नहीं।
तभी एंथोनी ने एक जगह कार रोकी और कार से उतरकर बोला यहां से मैं आराम से दूसरे देश जा सकता हूॅ तब समीर बोला पहले तुम पासवर्ड बताओ अब केवल पाॅच मिनट बचे थे कंपनी बर्बाद होने में तब एंथोनी बोला इतनी जल्दी क्या है पहले तुम मेरे सवाल का जबाब दो तब समीर बोला मैं तुम्हारे किसी भी सवाल का जबाब देना जरूरी नहीं समझता इधर सब लोग कंपनी में एंथोनी के फोन का इंतजार कर रहे थे अब केवल तीन मिनट बचे थे स्नेहा को समीर की चिंता ही रही थी।
एंथोनी समीर के पास आया और उसके जेब में हाथ डाला समीर की जेब से एंथोनी ने लोहे के टुकड़े निकाले और बोला मुझे पता था समीर तुम खाली हाथ नहीं आ सकते हो मेरे साथ एंथोनी को उन टुकड़ों के बीच एक बटन दिखा एंथोनी ने बटन दबाया तो सारे टुकड़े आपस में मिलकर एक पिस्तौल बन गयी अब केवल एक मिनट बचा था तब एंथोनी ने कंपनी फोन किया और बोला तुम्हें पासवर्ड चाहिए न तो पासवर्ड है “समीर मल्होत्रा” राजेश जी ने पासवर्ड डाला तो सारे कम्प्यूटर काम करने लगे फिर राजेश जी बोले समीर कहाँ है तब एंथोनी बोला मेरे सामने है और अभी जिंदा है पर मरने बाला है आज मेरे हाथों स्नेहा ये सुनकर बहुत घबरा गयी ।
एंथोनी ने पिस्तौल समीर की तरफ तान ली तब समीर बोला एंथोनी तुम गलौ समझ रहे हो ये पिस्तौल नहीं है तुम ट्रैगर मत दबाना तब तक एंथोनी ने ट्रैगर दिया और एंथोनी के चिथड़े उड़ गये और समीर के कपड़े खून से लतपत हो गये ये आवाज सुनकर स्नेहा बेहोश हो गयी राजेश जी ने स्नेहा को हॉस्पिटल पहुँचाया और जब स्नेहा को होश आया तो समीर उसके पास बैठा था।
तब समीर ने बताया वह पिस्तौल जैसा दिखने वाला बाॅव था और मैने एंथोनी को ट्रैगर दबाने को मना किया था पर उसने मेरी एक न सुनी और ट्रैगर दबा दिया और एंथोनी का अंत हो गया तब स्नेहा बोली थैंक्स गोड तुम्हें कुछ नहीं हुआ अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मै तो मर ही जाती।

दयाल कुशवाह

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