कविता

याद.

हर सुबह शाम तेरी याद आती है
सपनों मे छुप-छुप कर जगा जाती है
ख्वाबो में तुम्हे अपने पास देखती हूँ
ऑखें खोलते ही दूर चली जाती हो
क्या बताऊ. कितनी प्यारी हो तुम
ये बात शायद तुम्हे मालूम नही
तेरे पास. रहने का जी चाहता है
पर वो दिन आता नही
उस पल को याद करके
अधिक उदासी छा जाती है, जब
कही अकेले सैर को निकलती हूँ
आज भी ये ऑखे प्यासी है
तेरे दर्शन को अभिलाषी है
क्षण भर के मिलन से कुछ न होता
बस तेरे साथ ही रहना चाहती हूँ|
निवेदिता चतुर्वेदी….

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४