बाल कवितायेँ
सूरज
पूरब की खिड़की से झांका
लाल लाल सूरज का गोला ।
हुआ सवेरा आंखे खोलो
चिड़िया बोली मुर्गा बोला।
सवेरा
सवेरा हुआ अब तुम जागो
बिस्तर छोडो आलस त्यागो।
मुंह धोकर स्नान करो
भगवान का ध्यान करो
दूध पियो जलपान करो ।
शाला में मन खून लगाना
गुरु जी से विद्या पाना
सही समय पर आना जाना
कभी न व्यर्थ समय गंवाना ।
— अमृता शुक्ला
अच्छी कवितायें, अमृता जी !
सुंदर