उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-34: न्यू इअर पार्टी

अब कंपनी खतरे से बाहर थी और उसका कारण था समीर क्योंकि अगर समीर न होता तो शायद कंपनी को पासवर्ड न मिलता इसी खुशी में राजेश डिशुजा जी ने एक बहुत बड़ी पार्टी रखी चूंकी यह साल खत्म होने वाला था इसलिए राजेश जी ने 1 जनवरी को पार्टी रखी और बड़ी-बड़ी हस्तियों को इन्वाइड किया था और समीर तथा स्नेहा को स्पेशली इन्वाइड किया था।

न्यू ईयर वाले दिन राजेश जी के घर शाम को बधाई देने वालों की भीड़ लगी थी और धीरे-धीरे राजेश जी का पूरा घर भर गया था रात के लगभग दस बज चुके थे और लगभग सभी लोग आ चुके थे।

एक आदमी ने माइक पकड़ा और बोलने लगा लेडीज एन्ड जेन्टर मेन जैसा कि आप लोगों को पता है कि राजेश जी को पार्टी के लिये किसी बहाने की जरूरत नहीं होती पर ये पार्टी एक ख़ास खुशी की बजह से रखी गई है और इसके बारे में खुद राजेश जी बतायेगें तो मैं अनुरोध करता हूं कि राजेश जी यहां आये फिर राजेश जी वहां गये और माइक पकड़ा और बोले जैसा कि आप सब लोग जानते है कि हम हर साल, वर्ष के अन्त में टेलेन्टेड लोगों को पुरुस्कार वितरण करते है और इस बार हमने पूरे शहर से लोगों को इन्वाइड किया था पर इस बार हमारी कंपनी में एक एंथोनी नाम का बदमाश घु आया था जिसने हमारी कंपनी बर्बाद करने का प्लान बना लिया था पर हमारे बीच एक ऐसा शख्स है जिसने अपनी जान की परवाह किये विना हमारी कंपनी की रक्षा की और उस शख्स का नाम है समीर मल्होत्रा तभी सब लोग तालियाँ बजाने लगे फिर राजेश जी बोले समीर मल्होत्रा मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप यहां पर आये और कुछ कहे तभी समीर राजेश जी के पास गया और राजेश जी ने समीर को माइक पकड़ा दिया।

समीर बोला य तो राजेश जी का बड़प्पन है जो कंपनी बचाने का श्रेय मुझे दे रहे है मैं तो यह कहूंगा कि इनकी वजह से मुझे मेरी स्नेहा मिल गयी और जिसने हमें अलग करने की कोशिश की थी उसे भी सजा मिल गयी पर दुःख इस बात का नहीं कि हम अलग रहे पर दुःख इस बात का है कि इंसान अपने स्वार्थ के लिये इतना गिर जाता है कि उसे अपनी तक परवाह नहीं रहती है समीर बोले जा रहा था और स्नेहा समीर को देख रही थी स्नेहा समीर में इतना खो गई कि उसे पता तक नहीं चला समीर कब उसके पास आ गया समीर ने स्नेहा के कंधे पर हाथ रखा तो स्नेहा एक दम से चौक पड़ी तब समीर बोला क्या हुआ स्नेहा बोली समीर कितने दिनों बाद हम मिले है काश ये पल यही थम जाता समीर बोला अब मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा तब स्नेहा बोली समीर आज तुम्हारे लिये एक सरप्राइज है समीर बोला क्या सरप्राइज तब स्नेहा बोली यह तो तुम्हें वहीं जाकर पता चलेगा फिलहाल हमें अभी फाॅमहाऊस जाना है वहां हमारे दोस्त हमारा इन्तजार कर रहे है तब समीर बोला हमारे दोस्त, ये तो वहीं पता चलेगा स्नेहा ने बात पूरी करते हुये कहा।

दयाल कुशवाह

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