कविता

समय काम का है

यह समय ‘आम’ का है,यह समय काम का है,
गर्मी-चुनाव एक साथ,गुठलियों के दाम का है।

आज आम राजा है,बहुत तरोताजा है,
भाव समझ ही न पाए,भले बजा बाजा है।

आम राम भरोसे है,आम को आम पोसे है,
आम को सब चूसते हैं,आम खाए धोखे हैं।

आम पत्थर खा रहा है,फिर भी देता जा रहा है,
ईश्वर-नेता आम की परिक्षा लेता जा रहा है।

— सुरेश मिश्र

सुरेश मिश्र

हास्य कवि मो. 09869141831, 09619872154