ग़ज़ल
आप भी दिल कमाल रखते हैं।
प्यार मुझसे मुझी से जलते हैं।
आज वो बन गए ज़रा संगदिल
ये फ़साने बयान कल के हैं।
लाख बच के चलो जमाने में
आस्तीनों में साँप पलते हैं।
ये उदासी बयां हमीं से क्यूँ
गैर से मुस्कुरा के मिलते हैं।
बेवफा बन गए सनम मेरे
मौसमो की तरह बदलते हैं।
गाँव की याद तो सतायेगी
टूटते जब शहर में रिश्ते हैं।
धर्म ये जिंदगी दिये जैसी
प्यार बन के फतिंगे जलते हैं।
— धर्म पाण्डेय
बढिया गजल !
आप भी दिल कमाल रखते हैं।
प्यार मुझसे मुझी से जलते हैं।====आदरणीय पांडेय जी सुंदर भाव मापनी पर ग़ज़ल , गीतिका का सौंदर्य बढ़ जाता है सार्थक प्रयास ग़ज़ल लिखने से पहले गुनगुना कर देखें कहीं लय बाधित नहीं हो रही है