भक्ति रस — भजन 1
ओ छलिये काहे छल दिन रात करे
चार दिवस फिर क्यों न डरे
ओ छलिये काहे तू ……
घट घट में वो कौन विचरता
समझ के क्यों खुद से है परे
ओ छलिये काहे तू……
किसको छलता ओ रे भोगी
बात बात काहे घात करे
ओ छलिये काहे तू…..
क्या है तू और क्या तेरी काया
सोच ले बन्दे क्या है कमाया
ओ छलिये काहे तू….
ओ छलिये काहे छल दिन रात करे
चार दिवस फिर क्यों न डरे ….
— अंशु
अच्छा भजन !