आज सब अकेल है
मेरे हर एक दर्द पे बदनामियों का जमघट है
हर एक मोड़ पे रुसवाइयों के मेले हैं
न दोस्ती, न रिश्ते न दिलबरी, न अपने
किसी का कोई नहीं आज सब अकेले हैं
मेरे हर एक दर्द पे बदनामियों का जमघट है
हर एक मोड़ पे रुसवाइयों के मेले हैं
न दोस्ती, न रिश्ते न दिलबरी, न अपने
किसी का कोई नहीं आज सब अकेले हैं