चतुष्पद
इसी तरह हमेशा चेहरे पर रहे~~~ मुस्कान।
जीवन के सफर में छुते रहे~~~~ आसमान ।
कभी भी आपके जीवन में आयें न रुसवाईयां,
दामपत्य जीवन में पुरा होते रहे~~~ अरमान।
@ रमेश कुमार सिंह/०८-१०-२०१५
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जिन्दगी के राह में,अनेकों मोड़ मिलते हैं।
सब पर लोग चलकर~ गुजरना चाहतें हैं।
हर समय बिताने के बाद~~ आखिरी में,
एक ही जगह पर जाकर लोग मिलते हैं।।
@रमेश कुमार सिंह /०६-१०-२०१५
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कहाँ छोड़कर~वो चली।
खिली मिली थी वो कली।
हँसीं देकर मेरे हृदय में,
किस पथ पर~ वो चली।।
@रमेश कुमार सिंह
०५-१०-२०१५
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आखिर में एक ही जगह पर जा कर लोग मिलते है ,किया लिखा है ,बहुत खूब .
सादर धन्यवाद श्रीमान जी।
तीनों उम्दा रचनायें
आभार आपका!!