उस का दर्द – लघुकथा
लघुकथा – उस का दर्द
“ डॉक्टर साहब ! होश में आते ही वह फिर तडफने लगेगी. उस का कोई उपाय बताइए .”
“ वह अपने बच्चे से बहुत प्यार करती थी. फिर उस के छाती दूध से भर जाती है. इस से आप की पत्नी को ज्यादा तकलीफ होती है.” डॉक्टर ने कहा, “ आप उसे समझाए. किसी दूसरे के बच्चे को दूध पिला दिया करे.”
यह सुन कर पति की आँख में आंसू आ गए, “ वह एक कट्टर धार्मिक महिला है. वह नहीं मानेगी डॉक्टर साहब.”
तभी बच्चा को रोना सुन कर डॉक्टर ने आवाज दी, “ नर्स ! बच्चे को ले जाओ.”
“ जी ! “ नर्स ने कहा और वह सावित्री के पास पहुँच गई. जैसे ही उस कि आँखे खुली वैसे ही वह चहक उठी, “ मेरा बच्चा !”
“ हाँ सावित्री ! यह तेरा बच्चा है जो कृष्ण के रूप में रोड़ी ( गोबर का ढेर ) में पड़ा हुआ मिला था ताकि देवकी की तकलीफ दूर कर सके.” मगर सावित्री बिना सुने ही उसे दूध पिलाने में मशगुल थी और पास खड़ी नर्स ,जो अनाथालय में पलीबड़ी थी बच्चे से अपने जीवन की तुलना कर पहली बार मुस्कराई थी.
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१२/१०/२०१५
प्रेरक कथा
ममता ना जाने भेद
लघु कथा अच्छी लगी .